14 April Bhimrao Ambedkar Jayanti Speech, Essay 2020
14 April Dr Bhimrao Ambedkar Jayanti (बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती)
Dr Bhimrao Ambedkar Jayanti (बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती) हर साल 14 अप्रैल को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई जाती है | इस आर्टिकल में आज हम आप सभी प्रतियोगी विद्यार्थियों को 14 april ambedkar jayanti की बारे में संपूर्ण जानकारी बताएंगे | Bhimrao Ambedkar Jayanti 2020 Speech, Essay, Quotes के बारे में भी जानकारी देंगे |
आप सभी प्रतियोगी अभ्यार्थियों को बता दें कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान पर हुआ था, और अंबेडकर जयंती को बड़े धूमधाम से विषय भर में मनाया जाता है| तो चलिए देखते हैं भीमराव अंबेडकर जी का जन्म कब हुआ विस्तार से, उनके पिता जी का क्या नाम था उनका संपूर्ण इतिहास इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे |
World biggest jayanti 2020
14 April world biggest jayanti 2020 प्रतिवर्ष मनाई जाती है| आप सभी विद्यार्थियों को बता दें कि अक्सर 14 अप्रैल को विश्व भर में भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई जाती है, इन दिन सभी कॉलेज, स्कूल, दफ्तर (Office) मैं अवकाश (छुट्टी) रहती है | आखिर क्यों इस दिन बड़े धूमधाम से भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई जाती है | तो आइए देखते हैं भीमराव अंबेडकर जी का संपूर्ण इतिहास क्या है उनकी शिक्षा कहां हुई उनके पिता जी का क्या नाम था, राजनीतिक कैरियर क्या था इत्यादि की जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे, जो आपके आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं|
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14 April Bhimrao Ambedkar Jayanti
Ambedkar jayanti in hindi डॉ. बी. आर. अम्बेडकर जी का पूरा नाम डॉ. भीमराव राम जी अम्बेडकर था। इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल तथा माता का नाम भीमाबाई था। वह एक हिन्दू धर्म की ऐसी जाती से सम्बन्ध रखते थे, जिसे अछूत माना जाता था। इसी कारण से इनसे लोग छुआ-छूत मानते थे। इनके पिता भारतीय सेना में सेवारत थे। पहले भीमराव अम्बेडकर जी का उपनाम सकपाल था, पर इनके पिता अपने मूल गांव के नाम पर अम्बेडकर रखा। इन्हे बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है। इन्होने अपना सम्पूर्ण जीवन ऊंच-नीच, छुआ-छूत के भेदभाव को समाज से हटाने में लगा दिया। इनका विवाह 1906 में मात्र नौ वर्ष की आयु में रमाबाई के साथ कर दिया था।
डा. भीमराव अम्बेडकर जी की शिक्षा :
भीमराव अम्बेडकर ने अपनी बारहवीं की पढ़ाई 1907 सन में की थी। स्कूल की शिक्षा पूर्ण होने के बाद इन्होनें बॉम्बे के एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। इन्हे गायकवाड़ राजा सयाजी से 25 रूपए माह की छात्रवृति मिलने लगी थी।
1912 में इन्होने राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र में स्नाकोत्तर की उपाधि ली। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए। 1916 सन में इन्हे इनके एक शोध के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया। इसके बाद वह लन्दन गए लेकिन इन्हे बीच में ही लौटना पड़ा। अपना जीवन-यापन के लिए इन्होने इस बीच यह मंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्राध्यापक भी रहे। इसके बाद फिर वह इंग्लैंड चले गए। वर्ष 1923 में उन्होंने अपना शोध ”रूपए की समस्या” को पूरा किया। उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा ”डॉक्टर ऑफ़ साइंस” की उपाधि प्रदान की गयी। सन 1927 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में उन्हें पीएचडी की उपाधि प्रदान की।
बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर राजनीतिक करियर :
1936 सन में भीमराव अम्बेडकर ने स्वत्रंत मजदूर पार्टी की स्थापना की। अगले वर्ष 1937 के केंद्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 15 सीटों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने इस दल को ऑल इंडिया सेडयूल कास्ट पार्टी में परिवर्तित कर दिया। वर्ष 1946 में संविधान सभा के चुनाव में वह खड़े हुए, किंतु सफलता नहीं मिली। यह रक्षा सलाहकार समिति और वायसराय की कार्यकारी परिषद् के लिए श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे। वह देश के पहले कानून मंत्री बने। उन्हें सविंधान गठन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। अम्बेडकर समानता पर विशेष बल देते थे। वह कहते थे – अगर देश की अलग अलग जाती दुसरे से अपनी लड़ाई समाप्त नहीं होगी तो देश एक जुट नहीं होगा।
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छुआ-छूत का विरोध :
बाबासाहेब अम्बेडकर ने जीवनभर छुआ-छूत का विरोध किया। उन्हें अपने जीवन में काफी छुआ-छूत का सामना करना पड़ा था। उन्होंने दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए सरहनीय कार्य किये। वह कहते थे – आप स्वयं को नीचा न समझे और अपना घर साफ रखे। घिनौनी रीति-रिवाजों को छोड़ दे। हमारे पास आजादी इस लिए है ताकि उन चीजों को सुधार सके जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी है जो हमारी मौलिक अधिकारों की विरोधी है। वह सामाजिक समानता को बहुत महत्व देते थे। वह कहते थे ‘जब तक आप सामाजिक समानता स्वत्रंता हासिल नहीं कर लेते, तब तक कानून आपको चाहे कितनी भी वह आपके किसी काम की नहीं है। वह राजनीती को जनकल्याण का माध्यम मानते थे। वह कहते थे की में कोई राजनीती में सुख भोगे नहीं आया में अपने दलित भाइयो को समानता का अधिकार दिलाने आया हूँ।
बौद्ध धर्म में परिवर्तन :
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का बचपन बहुत संस्कारी एवं धार्मिक माहौल में बीता था। इस वजह से उन्हें अच्छे संस्कार मिले। वह कहते थे की में एक ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वत्रंता, समानता और भाई-चारा सिखाय। वर्ष 1950 में वह एक बौद्धिक सम्मलेन में भाग लेने के लिए श्री लंका गए जहाँ वह बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित हुए। स्वदेश वापसी पर उन्होंने बौद्ध धर्म पर पुस्तक लिखी। उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। वर्ष 1955 में उन्होंने भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की।
14 अक्टूबर 1955 में उन्होंने एक आम सभा आयोजित की जिसमे उनके पांच लाख समर्थको ने बौद्ध धर्म अपनाया। कुछ समय पश्चात 6 दिसम्बर,1956 को उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के अनुसार किया गया।
Bhimrao Ambedkar Important Fact :-
- वर्ष 1990 में मृत्यु के पश्चात् उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- बाबा साहेव ने अनेक पुस्तके लिखी है। बाबासाहेव ने वेटिंग फॉर ए वीजा नाम से अपनी आत्मकथा लिखी।
Bhimrao Ambedkar Speech :-
- में ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वत्रंता, समानता, और भाई-चारा सिखाये।।
- बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।।
डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर जयंती की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं !!!