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सामान्य ज्ञान

प्राचीन बिहार का इतिहास History Of Ancient Bihar In Hindi

प्राचीन बिहार का इतिहास | History Of Ancient Bihar In Hindi PDF
Written by Sarkariexambook

History Of Ancient Bihar In Hindi :- दोस्तों आज हम आप सभी विद्यार्थियों के लिए  बिहार का प्राचीन इतिहास वास्तव में भारत का प्राचीन इतिहास लेकर आए हैं I यह शक्तिशाली साम्राज्य का केंद्र था। सक्षम साम्राज्यों के संरक्षण में यह हजारों वर्षों तक शिक्षा का सांस्कृतिक केंद्र रहा। शब्द ‘बिहार’ ‘विहार’ से बना है जिसका अर्थ है बौद्ध भिक्षुओं और बिहार के दक्षिणी भाग में पुरापाषाण काल के ओजार मिले है। आराम करने का स्थान लेकिन 12वीं सदी के मुस्लिम शासकों ने इस स्थान को ‘बिहार’ कहना शुरु कर दिया था। पत्थर की कुल्हाड़ियों के फल, चाकू और खुर्पी के रूप में प्रयोग किए जाने वाले पत्थर के टुकड़े हैं। ऐसे अवशेष मुंगेर, पटना, गया और नालंदा जिले में उत्खनन से प्राप्त हुए हैं, जो अनुमानतः 100,000 ई.पू. काल के हैं।

प्राचीन बिहार का इतिहास | History Of Ancient Bihar In Hindi PDF

History Of Ancient Bihar बिहार का प्राचीन इतिहास पार्ट 1 

बिहार का प्राचीन इतिहास पूर्व ऐतिहासिक काल :-

# मुंगेरके भीमबांध एवं गया के जेठियन आरंभिक पुरापाषाण काल के औजार मिले हैं. # मुंगेरसे मध्य पाषाण युग (1,00,000 से 40, 000 ई० पू०) के अवशेष प्राप्त हुए हैं। ये औजार छोटे आकार के पत्थर के बने तेज धार एवं नोक वाले हैं I

# चिरांद (सारज जिला) और चेचर (वैशाली जिला) से नवपाषाण युग (2,5,00 ई०पू० से 1,5,00 ई०पू०) के अवशेष मिले हैं।

# चिराद पूरे देश में हड्डी के उपकरणों के लिय प्रसिद्ध है.

# ताम्रपाषाण काल एवं उसके परिवर्ती चरण के अवशेष चिरांद चेचर, सोनपुर, गया एवं मनेर से

प्रपात हुआ है.

# ब्राह्मण ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि आर्यों के आने के पूर्व बिहार के क्षेत्र में संस्कृति का विकास था I

# ऋग्वेद में बिहार क्षेत्र के लिए कीकट एवं व्रात्य शब्द का प्रयोग हुआ है. # अथर्ववेद में अंग एवं मगध का उल्लेख मिलता है.

# वाल्मीकि रामायण में मलद एवं करुना शब्द का प्रयोग सम्भवतः बक्सर क्षेत्र के लिए हुआ है.

# वायुपुराण के •अनुसार गया में असुरों का शासन था.

बिहार का प्राचीन इतिहास- आर्यों का आगमन

# भारत में लोहे का उपयोग लगभग 1000 ई०पू० से 800 ई०पू० में हुआ और इसी समय आर्यों का बिहार में विस्तार आरम्भ हुआ,

# विदेह माधव की कहानी शतपथ ब्राह्मण में मिलती है जिसमें विदेह माधव सरस्वती के तट पर रहते थे तथा वैश्वानर (अग्नि) को मुख में धारण किए हुए थे। घृत का नाम लेते ही अग्नि मुख से बाहर आ गयी तथा नदियों को जलाती हुई सदानीरा (बिहार की वर्तमान गंडक नदी के तट पर ठहर गयी। विदेह माधव आदि अग्नि के पीछे-पीछे अपने गुरु गौतम राहुगण के साथ यहाँ तक आ गए। अग्नि ने सदानीरा के पूर्व विदेह को निवास स्थान बनाया। सदानीरा नदी कोसल और विदेह की सीमा थी।

# शतपथ ब्राह्मण में विदेह के जनक का उल्लेख सम्राट के सम्राट के रूप में किया गया है।

# वराह पुराण में कीकट क्षेत्र की चर्चा अपवित्र क्षेत्र जबकि गया की चर्चा पवित्र क्षेत्र के रूप में किया गया है I

बिहार का प्राचीन इतिहास छठी शताब्दी ई.पू.

# छठीं शताब्दी ई. पू. के 16 महाजनपदों में से 3 महाजनपदों मगध, वज्जि और अंग का वर्णन अंगुत्तर निकाय (बौद्ध साहित्य) एवं भगवती सूत्र (जैन साहित्य) में मिलता है।

विदेह

यजुर्वेद में सबसे पहले विदेह राज्य का उल्लेख मिलता है इस राजवंश की शुरुआत इक्ष्वाकु के पुत्र नीमीविदेह से मानी जाती है, जो सूर्यवंशी थे। इसी वंश के दूसरे राजा मिश्री जनक विदेह ने मिथिला की स्थापना की थी। इस वंश के 25 वें राजा सिरध्वज जनक थे जिनकी पुत्री सीता का विवाह राम से हुआ था। इस वंश के राजाओं में जनक विदेह अपने विद्वता एवं विद्वानों के संरक्षण के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए। विदेह अपने दार्शनिक राजाओं के लिए प्रसिद्ध था। इसकी राजधानी मिथिला थी। बृहदारण्यक उपनिषद के अनुसार जनक विदेह के दरबार में विद्वानों की एक प्रतियोगिता में याज्ञवल्क्य विजय हुए। मगध ने विदेह राज्य को अपने में मिला लिया।

वैशाली

मनु के पुत्र नभनेदिष्ट ने वैशालीका अथवा विशाल राजवंश की शुरुआत की, इस वंश के 24 वे राजा विशाल ने वैशाली शहर की स्थापना की। इस वंश का नहीं शासक सुमति अथवा प्रमिति था।

अंग

#अथर्ववेद में अंग राज्य का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है, एक कथा के अनुसार यहां के शासकों की जांघ सुंदर होने के कारण इस क्षेत्र का नाम अंग पड़ा। इसकी प्रारंभिक राजधानी मालिनी थी जिसका नाम बाद में चंपा या चंपावती रखा गया।

# अंग के शासक द्रधबर्मन ने अपनी पुत्री का विवाह उदयन के साथ किया था। अंग के अंतिम राजा ब्रह्मदत्त के समय मगध के राजा बिंबिसार ने अंग पर आक्रमण कर इसे अपने राज्य में मिला दिया । बौद्ध साहित्य में चंपा को तत्कालीन छह प्रमुख नगरों में माना गया है।

वज्जी संघ

# गंगा के उत्तर में तिरहुत प्रमंडल में स्थित वज्जी संघ में संभवत: आठ सदस्य थे जिनमें सबसे प्रबल सदस्य लिच्छवी राज्य था। इसकी राजधानी वैशाली थी जिसकी पहचान वसाढ़ नामक गाँव से की गई है।

# कौटिल्य ने लिच्छवी राज्य का उल्लेख ‘राजशब्दोपजीवी संघ’ के रूप में किया है।

# शातृक या ज्ञातृक एक अन्य सदस्य था जिसका प्रमुख सिद्धार्थ थे। कुंडग्राम में सिद्धार्थ के पुत्र महावीर का जन्म 540 ई०पू० में हुआ जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर बने। महावीर की माता त्रिशला लिच्छवी राज्य प्रमुख चेटक की बहन थी।

# वज्जी संघ के अन्य सदस्य उग्र, भोग, ईक्षवाकू, कौरव, विदेह आदि थे।

# वजी संघ का संविधान एवं प्रशासन कुलीनतंत्र की तरह था जिसमें राजाओं की सभा ‘संस्था’ प्रशासन विचार-विमर्श से देखती थी इसमें सभी राजाओं को समान अधिकार था किन्तु बुजुगों को विशेष अधिकार प्राप्त था।

बिहार में आर्यों का आगमन

# बाद के वैदिक काल (1000 – 600 ईसा पूर्व) में आर्यों ने पूर्वी भारत की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। प्राचीन ब्राह्मण ग्रंथों में बिहार के राजाओं के नामों का उल्लेख मिलता है।
शतपथ ब्राह्मण आर्यों के आगमन और प्रसार के बारे में उल्लेख करता है। वराह पुराण में टिकट को अशुभ स्थान के रूप में उल्लेख किकट को अशुभ स्थान के रूप में उल्लेख किया गया है जबकि गया के पुनपुन, राजगीर को शुभ स्थान के रूप में बताया गया है।

महाजनपद(Mahajanpad)

# बौद्ध और जैन साहित्य के अनुसार, बाद के वैदिक युग में कई छोटे राज्यों या शहर में मगध का प्रभुत्व था।
500 ईसा पूर्व तक, भारत – गंगा के मैदान जो आधुनिक अफगानिस्तान से बंगाल और महाराष्ट्र तक फैले 16 ‘राजतंत्र’ और ‘गणतंत्र’ – कासी, कोसल, अंग, मगध, वज्जी (वरिजी), मल्ला, चेडी, वत्स (या वामसा), कुरू, पांचाल,मत्या, सुरसेन, अशका, अवंती, गांधरा, कंबोज को महाजनपदों के रूप में जाना जाता था।
16 महाजनपदों में से तीन महाजनपद, मगध, अंग, वज्जी बिहार में थे। 16 राज्यों में से कई ने 500/400 ईसा पूर्व में चार प्रमुख राज्यों के साथ गठबंधन किया था जो कि सिद्धार्थ गौतम के समय तक है। ये 4 वत्स, अवंती, कोसल और मगध थे।

अंग राज्य(Angrajya) :–

# अथर्ववेद में पहली बार इसका उल्लेख मिलता है। इस महाजनपद में वर्तमान समय के खगड़िया, भागलपुर और मुंगेर शामिल हैं। यह मगध के उत्तर-पूर्व में स्थित था।
चंपा इस राज्य की राजधानी थी जो वर्तमान बिहार के भागलपुर का चंपानगर ही थी। चंपा का पूर्व नाम मालिनी था, जिसकी स्थापना महागोविंद ने की थी।
चीनी यात्री ह्यून त्सांग ने इसे चेनांपो के रूप में संदर्भित किया है।

वज्जी / वरिजी राज्य(Vjji/Variji Rajya):–

# वज्जी महाजनपद में कुल 8 कुल शामिल थे और यह राज्य सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। वज्जी महाजनपद उतरी भारत में स्थित था।
8 कुलो में से लिच्छवी, विदेह और वज्जी सबसे महत्वपूर्ण थे। वज्जी की राजधानी वैशाली में स्थिति थी। लिच्छवियों का एक स्वतंत्र कबीला था और आर्यों से अलग थे।
वैशाली के कुड़ग्राम के ज्ञानी भी इस संघ के सदस्य थे। महावीर जैन जनत्रिका थे। उनके पिता जनत्रिका कबीले के प्रमुख थे। और उनकी मां लिच्छवी राजकुमारी थी।

विदेह राज्य(Videh Rajya):–

# विदेह राज्य का उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में बिहार के कुछ हिस्सों को मिलाकर नेपाल के छोटे-छोटे हिस्सों के रूप में किया गया है। यजुर्वेद में पहली बार इसका जिक्र किया गया है।
इस राज्य शुरुआत इक्ष्वाकु के बेटे निमी विदेह ने की थी।
अगले राजा मिथिजनक विदेह ने मिथिला की स्थापना की थी। इसके बाद इस राज्य के सभी राजाओं को जनक कहा जाने लगा।
हिंदू देवी सीता विदेह की राजकुमारी थी। और वे विदेह के राजा जनक की पुत्री थी।
विदेश राज्य की राजधानी जनकपुर अब नेपाल का हिस्सा है। बृहदारण्यक उपनिषद के अनुसार, राजा जनक ने वैदेही में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसे यज्ञवलक्या ने जीता था। इस राज्य के अंतिम राजा राजा कराल थे। इसके बाद इसमें गिरावट आने लगी।

लिच्छवी (वैशाली)(Lichchhivi):–

  • लिच्छवी, वज्जी संघ का सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली कबीले था।
  • यह गंगा के उत्तरी तट पर स्थित था, जो वर्तमान बिहार और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में फैला हुआ था, इसकी राजधानी वैशाली में थी।
  • महाभारत काल में इस शहर का नाम राजा विशाल के नाम पर रखा गया था।
  • यह बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र और वज्जी गणराज्य का मुख्यालय था। भगवान महावीर का जन्म वैशाली के कुंडग्राम में हुआ था।
  • पाणिनी ने वज्जी के लिए ‘वृज’ शब्द का इस्तेमाल किया लेकिन लिच्छिवियों के बारे में उल्लेख नहीं किया। विभिन्न जैन साहित्य में भी लिच्छिवियों का वर्णन है।
  • वैशाली को दुनिया का पहला गणतंत्र माना जाता है और इसमें प्रतिनिधियों की निर्वाचित विधानसभा थी। मगध के साथ लिच्छिवियों ने प्रशासन की एक प्रणाली तैयार की, जिसने राज्य शिल्प की आधुनिक कला का बीज बोया।
  • कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में लिच्छिवियों के आदिवासी परिसंघ का उल्लेख किया है। बौद्ध ग्रंथ महापरीनीबना सुतांता लिच्छिवियों को क्षत्रियों के रूप में संदर्भित करता है, जबकि मनुस्मृति ने उन्हें वर्तया क्षत्रियों की श्रेणी में रखा है।
  • भगवान महावीर का की माता त्रिशला लिच्छवी के राजा चेतक की बहन थीं। गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम ने एक लिच्छवी राजकुमारी कुमारादेवी से विवाह किया था। आम्रपाली वैशाली की मशहूर नृतकी और शाही गणिका थी ‌।
  • लिच्छवी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक उत्तरी भारत और नेपाल में प्रभावशाली बने रहे। जैसे- जैसे समय बीतता गया वैसे- वैसे लिच्छवियों के राज्य को मगध के राजा अजातशत्रु ने जीत लिया।

 

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