Makar Sankranti kab manaaya jaata hai और क्यों मनाया जाता है |

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Makar Sankranti kab manaaya jaata hai -मकर संक्रांति हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि से मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व आता है। इस दिन से घरों में मांगलिक कार्य भी संपन्न होने आरंभ हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन देवलोक में भी दिन का आरंभ होता है। इसलिए इसे देवायन भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवलोक के दरवाजे खुल जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की अराधना होती है। सूर्य देव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है। संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

Makar Sankranti kab manaaya jaata hai और क्यों मनाया जाता है |

Makar Sankranti कब मनाया जाता है 

सनातन धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्नान दान कर भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार मकर संक्रांति (Makar Sankranti In Hindi 2022) का पावन पर्व 14 जनवरी 2022, शुक्रवार शाम 8:00 बजे से लेकर 15 जनवरी तक मनाया जाएगा है| इस दिन सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने से खरमास की समाप्ति होती है और सभी मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है I

Makar Sankranti क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर भारत का मशहूर त्योहार मकर संक्रांति कई नामों से अलग-अलग प्रांतों में जाना जाता है। बिहार में जहां इसे तिल संक्रांत या दही-चूड़ा कहते हैं, वहीं असम में बिहू के नाम से ये त्योहार प्रसिद्ध है। इसके अलावा, दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन कई जगह खिचड़ी खाने का रिवाज़ है तो कहीं-कहीं नहाते वक्त पानी में तिल और सरसो का तेल मिला दिया जाता है। इतना ही नहीं, इस दिन बिहार-यूपी में दही-चूड़ा खाने की भी मान्यता है।

Makar Sankranti 2022 कब मनाया जाता है.

 मकर संक्रांति सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं

सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है. क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं.

मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं?

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे.पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था. इसीलिए इस दिन बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है.

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति कब मनाई जाती है 14 या 15 जनवरी ?

 

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